बिहार दिवस: गौरवमयी इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

बिहार दिवस: गौरवमयी इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

बिहार दिवस का परिचय

बिहार दिवस, जिसे बिहार स्थापना दिवस भी कहा जाता है, हर वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष, बिहार अपना 113वां जन्मदिन मना रहा है। बिहार का इतिहास, संस्कृति और परंपराएं अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण हैं, जो इसे भारत के प्रमुख राज्यों में से एक बनाती हैं।

बिहार का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बिहार का इतिहास प्राचीन काल से ही गौरवशाली रहा है। यह क्षेत्र वैदिक काल में ‘विहार’ या ‘विहारक’ के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है ‘मठों की भूमि’। इस भूमि ने अनेक महान साम्राज्यों को जन्म दिया, जिनमें मौर्य, गुप्त, और पाल वंश प्रमुख हैं।

  • मौर्य साम्राज्य: चंद्रगुप्त मौर्य और उनके प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य ने मगध क्षेत्र से अपने साम्राज्य का विस्तार किया। सम्राट अशोक, जिन्हें विश्व में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, ने भी यहीं से शासन किया। उनके शासनकाल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ और बिहार बौद्ध शिक्षा का केंद्र बना।

  • नालंदा विश्वविद्यालय: नालंदा विश्वविद्यालय, जो कि प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था, यहां स्थित था। यह विश्वविद्यालय न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी छात्रों को आकर्षित करता था।

  • महान हस्तियां: बिहार ने महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट को जन्म दिया, जिनकी खोजों ने गणित और खगोलशास्त्र को नई दिशा दी।

बिहार राज्य का गठन

बिहार का गठन 22 मार्च 1912 को हुआ था। इसी दिन बिहार और उड़ीसा को बंगाल से अलग करके एक नया राज्य बनाया गया था। प्रारंभिक दौर में यह राज्य पूरी तरह से कृषि पर निर्भर था, जबकि शिक्षा और उद्योग की गति धीमी थी।

  • राजनीतिक महत्व: बिहार के गठन के पीछे मुख्य कारण यह था कि स्थानीय लोगों ने महसूस किया कि उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा उपेक्षित किया जा रहा है। इसलिए उन्होंने एक अलग प्रांत की मांग की।

  • आधुनिक विकास: वर्तमान में बिहार सरकार द्वारा व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे कि लघु उद्यमी योजना और जीविका जैसी गरीबी उन्मूलन योजनाएं।

बिहार दिवस मनाने का उद्देश्य

बिहार दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करना है। यह दिन लोगों को अपने राज्य पर गर्व महसूस कराने के लिए मनाया जाता है।

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, परेड और अन्य आयोजनों का आयोजन किया जाता है।

  • राज्यव्यापी अवकाश: बिहार दिवस पर सार्वजनिक अवकाश होता है, जिससे लोग इस अवसर को धूमधाम से मना सकें।

बिहार की सांस्कृतिक पहचान

बिहार की सांस्कृतिक पहचान अत्यंत समृद्ध है। यहां की लोक कला जैसे मिथिला पेंटिंग, छऊ नृत्य और भोजपुरी संस्कृति इसकी सांस्कृतिक धरोहर के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

  • लोक गीत: बिहारी लोक गीतों में प्रेम, प्रकृति और समाज की गहरी छवि होती है।

  • त्यौहार: छठ पूजा जैसे त्यौहार यहां की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं

बिहार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी प्रगति कर रहा है।

  • शिक्षा: राज्य सरकार ने शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे कि ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ‘मिड-डे मील योजना’।

  • स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए नए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

भविष्य की दिशा

बिहार दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि हम अपने राज्य को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।

  • युवाओं की भूमिका: बिहार की युवा पीढ़ी को अपने राज्य की प्रगति में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। शिक्षा, तकनीकी कौशल और उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करके वे न केवल अपने भविष्य को संवार सकते हैं, बल्कि अपने राज्य की तरक्की में भी योगदान दे सकते हैं।

  • सामाजिक एकता: बिहार की विविधता में एकता का संदेश देने वाले इस दिन हमें यह याद दिलाता है कि सभी जातियों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा ताकि हम एक मजबूत और समृद्ध बिहार का निर्माण कर सकें।

इन अतिरिक्त पंक्तियों से लेख की गहराई बढ़ेगी और पाठकों को बिहार दिवस के महत्व को समझने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

बिहार दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है; यह बिहारवासियों के लिए गर्व का प्रतीक है। यह दिन हमें अपने अतीत की याद दिलाता है और हमें प्रेरित करता है कि हम अपने राज्य के विकास में योगदान दें। आज हम पुनः 22 मार्च को बिहार दिवस मनाने जा रहे हैं जो 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में बिहार की स्थापना की याद दिलाता है।

इस वर्ष बिहार दिवस पर हमें अपने गौरवशाली इतिहास को याद करने के साथ-साथ भविष्य की दिशा पर भी चर्चा करनी चाहिए ताकि हर बिहारी इस क्षण को गौरवान्वित कर सके।


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