भारत का सबसे बड़ा हथियार सौदा: S-400 मिसाइल सिस्टम क्यों है इतना खास?

s-400

भारत का सबसे बड़ा हथियार सौदा: S-400 मिसाइल सिस्टम क्यों है इतना खास?

s-400

S-400 मिसाइल सिस्टम: भारत की सुरक्षा का नया स्तंभ

भारत ने 2018 में रूस के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम के लिए लगभग ₹35,000 करोड़ (लगभग $5.4 बिलियन) का ऐतिहासिक सौदा किया था, जो देश के रक्षा इतिहास का सबसे बड़ा हथियार सौदा है। इस सौदे के तहत भारत को पांच स्क्वाड्रन S-400 मिलेंगे, जिनमें से तीन स्क्वाड्रन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुके हैं और बाकी दो 2026 तक आ जाएंगे। इनकी तैनाती पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) और उत्तरी सीमा (चीन) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में की गई है।

s-400

S-400 मिसाइल सिस्टम: तकनीकी खूबियां

  • S-400 एक मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें चार तरह की मिसाइलें होती हैं, जो 40 किमी से 400 किमी तक के लक्ष्यों को मार गिरा सकती हैं।

  • इसकी रडार प्रणाली 600 किमी दूर तक के हवाई लक्ष्यों का पता लगा सकती है और एक साथ 160 लक्ष्यों को ट्रैक व 72 को एंगेज कर सकती है।

  • S-400 मिसाइल सिस्टम 4.8 किमी/सेकंड (माच 14) की गति से उड़ रहे टारगेट्स को भी नष्ट कर सकता है।

  • यह सिस्टम 5 मिनट में ऑपरेशन के लिए तैयार हो सकता है और मोबाइल ट्रकों पर तैनात होने के कारण तेजी से जगह बदल सकता है।

S-400 मिसाइल सिस्टम: भारत के लिए क्यों है खास?

  • S-400 मिसाइल सिस्टम ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा दागी गई मिसाइलों और ड्रोन को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया, जिससे भारत की वायु-रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ।

  • यह सिस्टम एक साथ कई प्रकार के हवाई खतरों-जैसे फाइटर जेट, क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन-को पहचान और नष्ट कर सकता है।

  • S-400 की तैनाती से भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क को मजबूती मिली है, जिससे रणनीतिक और नागरिक दोनों तरह की संपत्तियों की सुरक्षा बेहतर हुई है।

  • S-400 के आने से भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों की ओर से आने वाले हवाई खतरों के खिलाफ एक निर्णायक बढ़त मिली है।

S-400 मिसाइल सिस्टम: कूटनीतिक महत्व

  • S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी दर्शाया है। अमेरिका के प्रतिबंधों (CAATSA) की धमकियों के बावजूद भारत ने यह सौदा पूरा किया और रूस के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत रखा।

  • यह सौदा भारत की बहुपक्षीय कूटनीति और अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं पर अडिग रहने का उदाहरण है।

S-400 मिसाइल सिस्टम: संचालन और तैनाती

  • प्रत्येक S-400 स्क्वाड्रन में दो बैटरियां होती हैं, जिनमें छह-छह लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस रडार और एंगेजमेंट रडार शामिल होते हैं।

  • S-400 को भारतीय वायुसेना ने ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है, जो इसकी गति, सटीकता और दुश्मन के खतरों को दूर से ही खत्म करने की क्षमता को दर्शाता है।

S-400 मिसाइल सिस्टम से जुड़े 10 महत्वपूर्ण FAQs

  1. S-400 मिसाइल सिस्टम क्या है?
    S-400 रूस द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।

  2. S-400 की मारक क्षमता कितनी है?
    यह 40 किमी से 400 किमी तक के लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है और 600 किमी दूर तक के टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है।

  3. भारत ने S-400 सिस्टम कब खरीदा?
    भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ S-400 सौदा किया था।

  4. S-400 कितने टारगेट्स को एक साथ ट्रैक और एंगेज कर सकता है?
    S-400 एक साथ 160 टारगेट्स को ट्रैक और 72 को एंगेज कर सकता है।

  5. S-400 की खासियत क्या है?
    इसकी मल्टी-लेयर डिफेंस, तेज तैनाती, और विभिन्न प्रकार के मिसाइलों से हवाई खतरों को नष्ट करने की क्षमता इसे खास बनाती है।

  6. भारत में S-400 की तैनाती कहां की गई है?
    S-400 को पंजाब, पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया गया है।

  7. क्या S-400 बैलिस्टिक मिसाइल को भी मार सकता है?
    हां, S-400 बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट्स को भी नष्ट कर सकता है।

  8. S-400 की कीमत कितनी है?
    भारत ने पांच स्क्वाड्रन के लिए लगभग ₹35,000 करोड़ (लगभग $5.4 बिलियन) चुकाए हैं।

  9. S-400 की तैनाती से भारत को क्या लाभ हुआ?
    इससे भारत की वायु-रक्षा क्षमता में भारी इजाफा हुआ है और पाकिस्तान-चीन जैसे पड़ोसियों के खिलाफ निर्णायक बढ़त मिली है।

  10. S-400 को भारतीय वायुसेना में क्या नाम दिया गया है?
    भारतीय वायुसेना ने S-400 को ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है।

S-400 मिसाइल सिस्टम ने भारत की वायु सुरक्षा को नई ऊंचाई दी है और यह सौदा भारत की रणनीतिक, तकनीकी और कूटनीतिक मजबूती का प्रतीक बन गया है।

Also Read


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Scroll To Top

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading