परिचय
बिहार में आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सरकारी नौकरियों में 65% आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर पटना में धरना दिया। इस धरने में राजद के कई कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए।
धरने का उद्देश्य
तेजस्वी यादव के इस धरने का मुख्य उद्देश्य आरक्षण का विस्तार और सामाजिक न्याय को मजबूत करना था। उन्होंने तीन प्रमुख मांगें रखीं:
- आरक्षण का विस्तार: जातीय गणना के बाद आरक्षण को 65% तक बढ़ाने की मांग।
- नौंवी अनुसूची में शामिल करना: बढ़े हुए आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने की आवश्यकता, ताकि इसे कानूनी सुरक्षा मिल सके।
- रोजगार के अवसर: बिहार में बेरोजगारी की समस्या का समाधान और युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित करना।
तेजस्वी यादव के बयान
धरने के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने जातीय गणना कराई और उसके आधार पर आरक्षण का दायरा 65% तक बढ़ाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने इस बढ़े हुए आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल नहीं किया, जिससे यह मामला न्यायालय में लंबित है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे।
बेरोजगारी पर चिंता
तेजस्वी यादव ने बिहार में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने याद दिलाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज वे शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं, जबकि पहले उन्होंने रोजगार देने के वादे पर सवाल उठाए थे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
तेजस्वी यादव के इस धरने पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। कुछ नेताओं ने इसे राजनीतिक स्टंट कहा, जबकि अन्य ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
निष्कर्ष
बिहार में आरक्षण के मुद्दे पर तेजस्वी यादव का यह धरना राजनीति में नई दिशा प्रदान कर सकता है। आगामी दिनों में इस मुद्दे पर और भी राजनीतिक गतिविधियाँ देखने को मिल सकती हैं|
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